सुगबुगाहट | Sugbugahat
सुगबुगाहट
( Sugbugahat )
चलना नही सीखा समय के साथ जो,
वक्त ने भी कभी किया नही माफ उसे
वक्त करता नही गद्दारी कभी किसी से भी
आंधी के पहले ही हवाएं तेज कर देता है
हो रही सुगबुगाहट जो सुनता नही
उसकी चीखें दुनियां को सुनाई देती हैं
यादें तो होती हैं संभलने के लिए ही सदा
वर्तमान मे ही भविष्य का गढ़न होता है
होती नही जिनमे कल की दूरदृष्टी
वे बचते ही नही जिंदा कल के लिए भू
भरोसा ही देते साहित्य और सरकार
अपनी हिफाजत तो खुद की जिम्मेदारी है
( मुंबई )