आज के हालात
आज के हालात

आज के हालात

( Aaj Ke Halat )

 

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मिलावट का धंधा देखो
यार कितना फल-फूल रहा है?
अपराधी भी सहज ढ़ंग से
अब समाज में घुल रहा है
थर-थर थर थर कांपे पड़ोसी
डर के मारे नहीं कोई कुछ बोल रहा है।
मिलावट का धंधा देखो
यार कितना फल-फूल रहा है?
नेता अफसर की बैठकी
दिन रात उनके यहां होती
आसपास की करते रहते दिन-रात ये रेकी?
देख भयभीत/ हतप्रभ हैं सब
अच्छे अच्छों की है बंद बोलती।
पिछले शिकायतकर्ता का परिणाम सबको है पता
सो मुंह नहीं कोई अब खोलता;
ऐसा करने/सोचने पर भी तन-मन है डोलता।
कहता हृदय ठहर जा,
क्यूं खतरा है मोल लेता?
जरा धीरज रख,
नमकीन मीठा कुछ चख।
ऐसे लोग होते अल्पायु,
चलेगा शीघ्र ईश्वर/समय का जादू!
मिलेगा छुटकारा इनके आतंक से,
मारे जाएंगे सारे ? कसम से।
इतिहास देखे हैं हमने,
यकीं ना हो तो तू भी एकाध पुस्तक पढ़ ले!
वक्त आएगा?
जब वो चीखेगा चिल्लाएगा।
मदद/रहम की भीख मांगेगा,
कसम से कोई मदद को नहीं आएगा।
उस दिन उसे अपनी औकात समझ आएगा,
पल में हवा हो जाएगा।
पीछे अपने काले कारनामे छोड़ जाएगा,
इतिहास स्वयं को दोहराएगा।

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नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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