सुकून | Sukoon
सुकून
( Sukoon )
यादें भी काफूर हुईं,उम्मीदें भी जाती रहीं
खाक के सिवा,धरती भी अपनी रही नही
चाहा था जिसे,वो भी दिल से पराई हुई
हो क्या बात दिल की ,तिश्नगी अब रही नही
बदलते चमन की खुशबू मे,रंगत नही होती
सुना है यार की,वो मंजिल भी पूरी हुई नही
तलाशे सुकु कब मिला है किसे जहां मे
गर दौलते करीब से ,मुराद पूरी हुई नही
नाज़ से रहे हम,अंगुली न उठाई किसी गैर ने
वफा जो पा न सके,तो बेवफाई भी हुई नही
जमीं से अलहदा,ख्वाब मे सितारे लिए
रही न एक की,किसी और की भी हुई नही
( मुंबई )