Vishwa bal diwas par kavita
Vishwa bal diwas par kavita

विश्व बाल दिवस

( Vishwa bal diwas ) 

 

आज विश्व बाल दिवस है
बच्चे बेच रहे सामान है

दिल में बड़ी कसक है
कहीं लगे हैं मजदूरी में

कहीं लगे हैं रेत खनन में
बाल श्रम अपराध भले हो

पुस्तक छोड़ कुदाल लिए हैं
पेट की आग को पूछो ना

अरमानों को कुचल खड़े हैं
मिली मजूरी आधी भी तो

खुशी खुशी वो काम लगे हैं
फल के ठेलो पर तो देखो

दफ्तरों में फिरते चाय बांटते
अफसर आंख मूंद खड़े हैं

 

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

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