सुण पगली | Poem soon pagli
सुण पगली
( Soon pagli )
सुण पागली…..!
तनै तो कुछेक
दिनां म्हे ही
मेरा क़रार लूट लिया
तेरी नजरां नै
मेरा चैन छीन लिया
तेरी मीठी मीठी बातां नै
मेरे दिल का सुकून ले लिया……..
तनै तो इसकी ख़बर
भी कोन्या पागल
कि मैं तनै अपणा
ईब मानण लाग गया……….!
तनै हौले-हौले
बात बढ़ा कर दिल की
मेरै दिल की प्यास……
बढ़ा दी पगली……..
म्है तेरी सारी हाण
बाट जोहता रहूँ सूं
कि कद सी तू
मेरै तै बतालावेगी…….
इतणा इंतजार ना करवावै
तू मनै घणा याद आवै सै
सच्ची…. कहूँ पागल
तेरै बिन मन
दुःखी रहण लाग्या………
एक बार तै सोच मेरै बारे म्हे
कि कितणा व्यथित सूं मैं
कितणा परेशान सूं मैं
तेरै तै बात करै बिन………!!
तेरै तक पहुंच री सै नै
मेरै दिल की सदा
जै पहुंच री सै तै
सुण पगली……..
एक बै तै बात कर………!!
कवि : सन्दीप चौबारा
( फतेहाबाद)
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