तभी बचेगा लोकतंत्र
तभी बचेगा लोकतंत्र
आओ हम संकल्प सभी लें ,
जन गण मन को जगानेका !
भारत मांता की गरिमा संग ,
लोकतंत्र बचाने का !!
रावण ने की थी जो गल्ती ,
उसका क्या परिणाम हुआ !
धृतराष्ट्र में मोह के कारण ,
उसके कुल का नाश हुआ !!
जयचंद की ईर्ष्या द्वेष के
चलते, भारतवर्ष गुलाम हुआ !
आया समय पुनः वैसाही नेता-
स्वार्थी, अधिकारी भ्रष्ट हुआ !!
मानव ही दानव बन बैठा ,
तारतम्य क्या होगा !
अपने हित केलिए मनुजता ,
फिर तार तार होगा !!
वंशवाद विस्तार वादियों से ,
सबको बचना होगा !
आतंकी दहशत गैर्दों से भी,
सतर्क रहना होगा !!
जाति धर्म मजहब से हटकर ,
अपना मत देना होगा !
सच्चे अच्छे योग्य व्यक्तियों ,
को आगे करना होगा !!
तभी बचेगा लोकतंत्र यह ,
मिट जायेगी बदहाली !
तभी बचेगा देश ये अपना
आयेगी तब खुसहाली !!
तभी मनाएंगे ‘जिज्ञासु’ जन ,
क्रिसमस होली ईद दिवाली !
कमलेश विष्णु सिंह “जिज्ञासु”
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