प्रवास

प्रवास

प्रवास   अश्रुधारा हृदय क्रंदन दहन करता। प्रिय तुम्हारा प्रवास प्राण हरन करता।।   नभ में देखा नीड़ से निकले हुये थे आंच क्या थोड़ी लगी पिघले हुये  थे, उदर अग्नि प्रणय पण का हनन करता।।प्रिय०   तुम कहे थे पर न आये क्या करूं मैं इस असह्य विरहाग्नि में कब तक जलूं मैं, कांच…

न कर फरियाद दुनिया से

न कर फरियाद दुनिया से

न कर फरियाद दुनिया से   न कर फरियाद दुनिया से सहारे भी नहीं मिलते। कभी मझधार में आकर किनारे भी नहीं मिलते।।   गुलो-गुलजार की पहले सी वो रौनक कहां है अब ? यूं मौसम ए ख़िजां में अब बहारें भी नहीं मिलते ।।   यहां जीवन सभी का ही हमें वीरां बहुत लगता।…

यादों में उसकी रोता हूँ

यादों में उसकी रोता हूँ

यादों में उसकी रोता हूँ     यादों  में उसकी रोता हूँ! जीवन में इतना तन्हा हूँ   छूना मत बिखरुंगा वरना अंदर से इतना टूटा हूँ   तोड़ दिया है दिल प्यार भरा उल्फ़त जिससे मैं करता हूँ   मैं नफ़रत करने वालो को यार जला दूंगा शोला हूँ   वो ही देता है…

उल्फ़त में चोट मिली ऐसी टूटे है

उल्फ़त में चोट मिली ऐसी टूटे है

उल्फ़त में चोट मिली ऐसी टूटे है     उल्फ़त में चोट मिली ऐसी टूटे है! यादों में उसकी अब ग़ज़लें सुनते है   इक भी आया न मुझे  दोस्त जवाब मुझे रोज़ उसे लिक्खे उल्फ़त के ख़त मैंनें है   इक भी अल्फ़ाज़ न उल्फ़त का था बोला बोले उसने तो शब्द सभी कड़वे…

हर दिल पे छायी काई सी क्यूं है

हर दिल पे छायी काई सी क्यूं है

हर दिल पे छायी काई सी क्यूं है   हर दिल पे छायी काई सी क्यूं है। हर इक शय आज पराई सी क्यूं है।।   बेगाना अपनों में रह कर इंसा। हर दिल में यूं तन्हाई सी क्यूं है।।   खुशियां तो दिखती मुखङे पे बेशक। दुख में इतनी गहराई सी क्यूं है।।  …

साथ रहबर ना कोई सहारा हुआ

साथ रहबर ना कोई सहारा हुआ

साथ रहबर ना कोई सहारा हुआ     साथ रहबर ना कोई सहारा हुआ। मुश्किलों में ना कोई हमारा हुआ।।   देखते -देखते सब पराए हुए। वक्त आता नहीं सँग गुजारा हुआ।।   काम आया कभी जो वतन के लिए। इस जहां में सभी का वो प्यारा हुआ।।   पास आए सभी मांगने के लिए।…

दिल के घावों को कहां लोग समझ पाते है

दिल के घावों को कहां लोग समझ पाते है | Sad Ghazal Shayari

दिल के घावों को कहां लोग समझ पाते है ( Dil ke ghav ko kahan log samajh pate hai )     दिल के घावों को कहां लोग समझ पाते है। देख के भी नज़र फेर चले जाते हैं।।   जख़्म देते हैं सभी आज ज़माने वाले। और समझे है के मरहम वो लगा जाते…