माॅ का आर्शीवाद

माॅ का आर्शीवाद | डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव की कलम से

दिन में तीन या चार बार गरमागरम खाने से औलाद का पेट भरने के साथ साथ मां पर यह कर्तव्य भी निर्धारित किया गया है कि वह पुत्र को आर्शीवाद भी दे। वेदों और पुराणों में माॅ का आर्शीवाद दो तरह का बतलाया गया है। पहला है ”श्रेय” आर्शीवाद जो औलादों को अस्वीकार्य होता है।…

लव जिहाद के मामले , क्या फैमिली कोर्ट इस तरह की शादियां खत्म कर सकेगी

लव जिहाद के मामले , क्या फैमिली कोर्ट इस तरह की शादियां खत्म कर सकेगी

इन दिनों लव जिहाद का मामला भारत के विभिन्न राज्यों में तूल पकड़ रहा है। कई राज्यों में लव जिहाद के बढ़ते मामले को देखकर इसके लिए कानून बनाने की मांग हो रही है। कई राज्य तो इसमें आगे बढ़ चुके हैं, विशेषकर के हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में लव जिहाद को लेकर…

अच्छा समाज कैसे हो संभव ?

अच्छा समाज कैसे हो संभव ?

जब तक हम नहीं सुधरेंगे तब तक एक अच्छे समाज का निर्माण संभव नहीं। जब आप गलत होते हुए भी अच्छा बनने का नाटक करते हैं, तो अगला सब कुछ जानते हुए भी खामोश है ‌। तो इसका मतलब यह नहीं कि वह कुछ नहीं जानता बल्कि वो आपको दूसरों की नजरों में गिराना नहीं…

तारीखें

तारीखें

तारीखें   क्या तारीखें सच में होती हैं ?? समय तो शाश्वत है न!! यह तो तारीखों में बंधा नही फिर तारीखों का क्या काम ? प्रकृति ने तो तारीखें नही बनायीं। कैलेंडर और तारीखें मनुष्य ने अपनी सुविधा हेतु ईजाद किये। इससे उसे स्वयं को, दुनिया को परिभाषित करने में आसानी होती है। यदि…

धैर्य

धैर्य | Dhairy

 धैर्य ( Dhairy ) धैर्य यानी वह धागा जो आपको जोड़े रखता है। टूटने नही देता। यह एक ऐसी लौ है जो दिखती नही है। जो इसे जलाए रखता है, बुझने नही देता उसका जीवन प्रकाशमान हो जाता है। कुछ वर्ष पहले शिव खेड़ा की “जीत आपकी”पढ़ी थी। उसमें उन्होंने चीन में पाए जाने वाले…

बदलते समय के साथ बदलती हुई हिंदी

बदलते समय के साथ बदलती हुई हिंदी को स्वीकार करना वक्त की जरूरत है

बदलते समय के साथ बदलती हुई हिंदी  ( Badalte samay ke sath badalti hui Hindi )    हिंदी दिवस आते आते हिंदी भाषा की चर्चा जोर पकड़ लेती है। हर तरफ हिंदी भाषा की चर्चा शुरू हो जाती है। सरकारी कार्यालयों, स्कूल कॉलेजों में हिंदी दिवस के अवसर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए…

मुंशी प्रेमचंद जयंती विशेष

मुंशी प्रेमचंद जयंती विशेष

आज ही के दिन 31 जुलाई 1880 को कथा सम्राट धनपत राय श्रीवास्तव अर्थात मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म हुआ था।अपनी सरलता,मौलिकता से मन मोह लेने वाली कहानियों, उपन्यासों के रूप में मुंशी प्रेमचंद जी आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। यूँ तो उनकी बहुत सी कहानियों, उपन्यासों ने मेरा मन मोहा है…