हम जिस्म-ओ-जान से दिल के तलबगार है

हम जिस्म-ओ-जान से दिल के तलबगार है | Ghazal dil ke talabgar

हम जिस्म-ओ-जान से दिल के तलबगार है ( Hum jism -o -jaan se dil ke talabgar )   खुसबू से पीछा छुड़ाने को बागों में टहलते है पस-ए-पर्दा आँखों का हम भी समझते है   ज़िन्दगी फ़क़त कुछ दिनों के यूँ ही गुजर जाएगा चलो बैठ कर कहीं इसको गुज़रते देखते है   हम जिस्म-ओ-जान…

गीत लिखे हजार मगर

गीत लिखे हजार मगर | Geet likhe hajar magar

गीत लिखे हजार मगर ( Geet likhe hajar magar )   गीत लिखे हजार मगर गाया ना जा सके दर्द मिले ऐसे की बताया ना जा सके इस ज़ुबानी फ़र्क़ की इम्तेहान में खुद को बचाया ना जा सके लिखा है कुछ तो मगर क्या लिखे ऐसे की जनाया ना जा सके शोर इतना हो…

दयार-ए-इश्क़ से डर गए हम भी

दयार-ए-इश्क़ से डर गए हम भी | Dayaar -e- ishq

दयार-ए-इश्क़ से डर गए हम भी ( Dayaar -e- ishq se dar gaye hum bhi )   दयार-ए-इश्क़ से डर गए हम भी फिर तेरे तलाश में दर-ब-दर गए हम भी   ज़िन्दगी भर बूतान-ए-इश्क़ के किस्से सुने और पयान-ए-शौक़ से गुज़र गए हम भी   तलाश में ना आगे बढ़ा, ना वहां से लौट…

उदासी भरी जीस्त

उदासी भरी जीस्त | Udasi ghazal

उदासी भरी जीस्त ( Udashi bhari jist )   सफ़र कट रहा है ग़म मे जिंदगी का नहीं कर पाया हूँ सफ़र भी ख़ुशी का   उदासी भरी जीस्त तन्हा न कटती मिला साथ होता तेरी दोस्ती का   भुला दे सभी दिल से शिकवे गिले तू रवां छोड़ो भी दिल से ये दुश्मनी का…

हाल-ए-दिल का मत पूछ मेरे यार

हाल-ए-दिल | Hal-E- Dil | Ghazal

हाल-ए-दिल का मत पूछ मेरे यार ( Hal-e-dil ka mat poochh mere yar )   सीने पे देखु तो दर्द का खबर लगता है मेरे ज़ख्म-ए-दिल लोगो को तमाशा का नगर लगता है   अब बसेरा कर चूका हूँ बीरान शहर में जहाँ कहीं यहाँ अपना ही घर लगता है   हाल-ए-दिल का मत पूछ…

कर गये बदनाम

कर गये बदनाम | Kar gaye badnam | Ghazal

कर गये बदनाम ( Kar gaye badnam )   नजरों मे उनकी अनदेखा हो गये जिंदगी मे आज तन्हा हो गये   कर गये बदनाम ऐसा वो हमें प्यार मे हम आज रुसवा हो गये   पेश आये इस तरह से आज वो प्यार के हर शब्द खारा हो गये   वो हक़ीक़त मे हमारे…

ये जहाँ यूं भी तो नहीं मेरा

ये जहाँ यूं भी तो नहीं मेरा | Ye jahan | Ghazal

ये जहाँ यूं भी तो नहीं मेरा ( Ye jahan yun bhi to nahi mera )   ये जहाँ यूं भी तो नहीं मेरा तुम्हारे बगैर गुज़ारा यूं भी तो नहीं मेरा   मौत  के बाहों में सोने वाले से ज़िक्र-ए-ज़िन्दगी ना करे लगता है, है अपना मगर ज़िन्दगी यूं भी तो नहीं मेरा  …

क्यों मौत लिख कर कलम तक तोड़ दिया जाता है

क्यों मौत लिख कर कलम तक तोड़ दिया जाता है | Ghazal

क्यों मौत लिख कर कलम तक तोड़ दिया जाता है ( Kyon maut likh kar kalam tak tod diya jaata hai )   ज़िन्दगी का सफर क्या सिर्फ मौत तक है वर्ना क्यों मौत लिख कर कलम तक तोड़ दिया जाता है   हम दीवाने को नज़र से ही लूट लिया जाता है जो बात…

गुजारिश आपसे

गुजारिश आपसे | Ghazal guzarish aap se

 गुजारिश आपसे ( Guzarish aap se )   गुजारिश आपसे, मेरे ख्याल को सराह दिया जाए अपने दिल में इस ग़ैर मुस्तहिक़ को पनाह दिया जाए   ये बात नहीं आसान इतनी दिकत के लिए जो हो हमें सजा दिया जाए   क्या पसंदीदा और क्या ना-पसंदीदा अल्फ़ाज़ को बस अल्फ़ाज़ की दर्ज़ा दिया जाए…

बातें रायेगानी हो रही है

बातें रायेगानी हो रही है | Baaten rayegani ho rahi hai

बातें रायेगानी हो रही है ( Baaten rayegani ho rahi hai )   में उसके क़ुरबत में और ज़माने मुझसे दूर हो रही है   जहाँ से दुनिया फ़ना होती है वहाँ से मेरी कहानी सुरु होती है   सारे जहां में वस्वसे उड़ रही है शम्स की तलब में देखो लोग किस क़दर बौखला…