उदासी भरी जीस्त
( Udashi bhari jist )
सफ़र कट रहा है ग़म मे जिंदगी का
नहीं कर पाया हूँ सफ़र भी ख़ुशी का
उदासी भरी जीस्त तन्हा न कटती
मिला साथ होता तेरी दोस्ती का
भुला दे सभी दिल से शिकवे गिले तू
रवां छोड़ो भी दिल से ये दुश्मनी का
मुहब्बत की कर लो सनम गुफ़्तगू ही
छोड़ो भी ज़रा दामन नाराज़गी का
अगर जीस्त मे शायरी ये न होती
वरना दोस्तों मर जाता मैं कभी का
ठुकराया मुझे बेदिली से ही उसने
उसी का सदमा झेला है बेदिली का
सकूं से नहीं एक पल भी गुजरता
यहां वक़्त कटता ए आज़म दुखी का
शायर: आज़म नैय्यर
Nice