हरे है ज़ख़्म अब तक भी दिलों पे दाग़ है बाकी
हरे है ज़ख़्म अब तक भी दिलों पे दाग़ है बाकी हरे है ज़ख़्म अब तक भी दिलों पे दाग़ है बाकी। धुआँ- सा उठ रहा शायद कहीं पे आग है बाकी ।। नहीं ग़र भूल पाते हो करी कोशिश भुलाने की। बहुत यादें सताती है समझ लो राग है बाकी।। …