इस कदर वो याद आती हर घड़ी है
इस कदर वो याद आती हर घड़ी है इस कदर वो याद आती हर घड़ी है ! पाने की आज़म उसी की ही लगी है भूल पाना ही उसे मुश्किल हुआ अब वो जुदा ऐसी मुझसे सूरत हुई है प्यार जिसके लहजे में था ही नहीं जो एक सूरत जीस्त में…
इस कदर वो याद आती हर घड़ी है इस कदर वो याद आती हर घड़ी है ! पाने की आज़म उसी की ही लगी है भूल पाना ही उसे मुश्किल हुआ अब वो जुदा ऐसी मुझसे सूरत हुई है प्यार जिसके लहजे में था ही नहीं जो एक सूरत जीस्त में…
किसी का ज़ोर न चलता यहां तक़दीर के आगे किसी का ज़ोर न चलता यहां तक़दीर के आगे। झुकाते सर सभी अपना इसी तासीर के आगे।। बला की खूबसूरत हो मिले कैसे कोई तुम सा। ठहरता जब नहीं कोई तिरी तस्वीर के आगे।। न करते घाव वो दिल पर…
दिल हुआ है दीवाना इक आज मुखड़ा देखकर दिल हुआ है दीवाना इक आज मुखड़ा देखकर! रोज़ आहें दिल मेरे अब उसको भरता देखकर प्यार का दिल पे असर मेरे हुआ ऐसा यारों दिल कहीं भी अब नहीं उसको लगता देखकर के जैसे मेरे लिये रब ने बनाया है तुम्हें दिल…
अनोखा आंदोलन! **** कृषि कानूनों के खिलाफ अन्नदाता आंदोलनरत हैं, भीषण सर्दी में ही- दिल्ली बार्डर पर दिए दस्तक हैं। भीड़ बढ़ती जा रही है! ठसाठस सड़कों पर डटे हैं, सरकारी दमनचक्र के बावजूद- टस से मस नहीं हो रहे हैं। तू डाल डाल, मैं पात पात की नीति पर चल रहे हैं, शासन की…
जो किया मिलनें का वो वादा बदलती जो किया मिलनें का वो वादा बदलती दोस्त वो बातें लम्हा लम्हा बदलती साथ क्या मेरा निभायेंगे जीवन भर देखकर मुझको वही चेहरा बदलती आदमी इतना बुरा हूँ शक्ल से क्या मैं जो मुझे वो देखकर रस्ता बदलती किस तरह उसपे यकीं कर…
रात पूस की! **** पवन पछुआ है बौराया, बढ़ी ठंड अति- हाड़ मांस है गलाया! नहीं है कोई कंबल रजाई, बिस्तर बर्फ हुई है भाई। किट किट किट किट दांत किटकिटा रहे हैं, कांपते शरीर में नींद कहां? निशा जैसे तैसे बिता रहे हैं। चुन बिन कर लाए हैं कुछ लकड़ियां- वहीं सुनगा रहे हैं,…
बैठे है सब किसान दिल्ली में बैठे है सब किसान दिल्ली में! चल रहे है बयान दिल्ली में अपने हक़ के लिये किसानों ने हाँ लगा दी है जान दिल्ली में कोई भी जब बातें नहीं मानी क्या किसानों का मान दिल्ली में सच की आवाज़ से किसानों ने…
ग़म भरी अपनी यहां तो जिंदगी है ग़म भरी अपनी यहां तो जिंदगी है! लिक्खी क़िस्मत में नहीं शायद ख़ुशी है कोई भी अपना नहीं है आशना ही तन्हाई के रोज़ आंखों में नमी है हो गया मुझसे पराया उम्रभर वो रोज़ रातें यादों में जिसकी कटी है हाँ ख़ुशी…
नज़र का तीर जब उनका जिग़र के पार होता है नज़र का तीर जब उनका जिग़र के पार होता है। नहीं तब होश रहता है सभी सुख-चैन खोता है।। सहे तकलीफ जो पहले है पाते चैन आख़िर में। जो पहले ऐश करता है सदा आख़िर में रोता है।। वही मिलता उसे…
हाँ व़क्त कटता तेरे इंतजार में हाँ व़क्त कटता तेरे इंतजार में! तू लौट आ दिल मेरा बेक़रार में इस बार आऊंगा मैं मिलनें को तुझे छुटटी है दोस्त मेरी इतवार में वो तल्ख़ बात करता रोज़ है़ मगर लहज़ा नहीं उल्फ़त का मेरे यार में ख़ुशबू कैसे महकेगी प्यार…