महक तेरी मुहब्बत की | Ghazal
महक तेरी मुहब्बत की ( Mehak teri muhabbat ki ) इत्र क्या, गुलाब क्या , खुशबु कैसी, कहां महक है इस जहान मे , तेरी जैसी खुदा की खोज मे शीश झुकाया दर दर, कहां है पूजा कोई, तेरे आचमन जैसी होंगे कई तेरे चाहने वाले, समझ है मुझको, ना कही होगी, …