आँखें उनकी है मयखाने
आँखें उनकी है मयखाने।
ओठ लगे जैसे पैमाने।।
थाम दिलों को रह जाते है।
जब लगते जुल्फ़े बिखराने।।
ढांप कभी आंचल से सर को।
लगते मन ही मन शर्माने।।
घायल करके अब इस दिल को।
नज़रें फेर लगे मुस्काने।।
होश “कुमार” नहीं है बिल्कुल।
हम तो उनके हुए दीवाने।।
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