प्यार में आज़म कब वो वफ़ा दें गया

Udashi Bhari Shayari | प्यार में आज़म कब वो वफ़ा दें गया

प्यार में आज़म कब वो वफ़ा दें गया ( Pyar Me Azam Kab Wo Wafa De Gaya )   प्यार में आज़म कब वो वफ़ा दें गया इस क़दर प्यार में वो दग़ा दें गया   प्यार के ही बढ़ाएं क़दम थें जिसनें हर क़दम पे वो अब फ़ासिला दें गया   तोड़कर वो सगाई…

तू तल्ख़ करनी मुझसे बात छोड़ दें

Ghazal | तू तल्ख़ करनी मुझसे बात छोड़ दें

तू तल्ख़ करनी मुझसे बात छोड़ दें ( Tu talkh karni mujhshe baat chhod den )     तू तल्ख़ करनी मुझसे बात छोड़ दें! करनी ग़मों की ये बरसात छोड़ दें   देकर मुझे वफ़ा का नाम तू मगर मेरा  कहीं  न  तू  ये हाथ छोड़ दें   तू प्यार की ख़िज़ां कर रोज़…

देख रहा हूँ मैं हंसी यारों नज़ारें गांव में

देख रहा हूँ मैं हंसी यारों नज़ारें गांव में | Ghazal

देख रहा हूँ मैं हंसी यारों नज़ारें गांव में ( Dekh raha hun main hansi nazare gaon mein )     देख रहा हूँ मैं हंसी यारों नज़ारें गांव में आ रही देखो गुलों की वो बहारें गांव में   चाहता हूँ एक कोई तो बने साथी मेरा जो हंसी मुखड़े की देखी है कतारें…

हर कोई मगर दिल से अशराफ़ नहीं होता

Ghazal | हर कोई मगर दिल से अशराफ़ नहीं होता

हर कोई मगर दिल से अशराफ़ नहीं होता ( Har koi magar dil se ashraf nahi hota )   हर कोई मगर दिल से अशराफ़ नहीं होता ए  यारों  कभी  सच का इंसाफ नहीं होता   तू  बात  जरा  करना  ए  यार  संभलके  ही देखो हर किसी का ही दिल साफ़ नहीं होता   तो …

साथ तेरा अग़र मिला होता

Romantic Ghazal | साथ तेरा अग़र मिला होता

साथ तेरा अग़र मिला होता ( Sath Tera Agar Mila Hota )   साथ  तेरा  अग़र  मिला  होता। अपना जीवन भी ये ज़ुदा होता।।   झेल पाते खुशी से हर इक ग़म। ज़ख्म दिल का नहीं हरा होता।।   कोई  मुश्किल ठहर नहीं पाती। फिर न तक़दीर से गिला होता।।   जिंदगानी हंसी- खुशी कटती।…

दिल से ही रोज़ आहें निकलती रही

Sad Ghazal | दिल से ही रोज़ आहें निकलती रही

दिल से ही रोज़ आहें निकलती रही ( Dil se hi roz aah nikalti rahi )   दिल से ही रोज़ आहें निकलती रही! जीस्त यादों में उसकी गुजरती रही   कब मिला है ठिकाना ख़ुशी का कोई जिंदगी  रोज़  ग़म  में भटकती रही   डूब रही है ये  बेरोजगारी में ही जिंदगी कब यहां…

मिलन ऐसा भी

Nazm | मिलन ऐसा भी

मिलन ऐसा भी ( Milan Aisa Bhi )   विरह कीअग्नि में जलती इक प्रेयसी जैसे धरती यह भी निहारे है राह प्रियतम अपने की….   सांवरा सा सलोना सा गहराता सा मचलता सा शायद आ रहा होगा किसी इक कोने से नभ के इस ओर या उस छोर से…..   टकटकी लगाये बैठी कब…

दिल नहीं माना कभी कोई ग़ुलामी

Ghazal | दिल नहीं माना कभी कोई ग़ुलामी

दिल नहीं माना कभी कोई ग़ुलामी ( Dil Nahi Mana Kabhi Koi Gulami )     दिल नहीं माना कभी कोई ग़ुलामी। देनी आती ही नहीं हमको सलामी।।   सीधे-सादे हम तो है उस रब के बंदे। राह सीधी जो चले सन्मार्ग-गामी।।   गलतियों से क्यूं डरे हम इस जहां में। कौन जिसमें है नहीं…

बने कातिल झुका ली है हया से ये नज़र जब से

Ghazal | बने कातिल झुका ली है हया से ये नज़र जब से

बने कातिल झुका ली है हया से ये नज़र जब से ( Bane katil jhuka li hai haya se ye nazar jab se )     बने  कातिल  झुका ली  है हया से ये नज़र जब से। नहीं कुछ होश बाकी है हुआ दिल पे असर तब से।।     नज़र हम से मिलाओ तो…

कहां मुश्किल

Ghazal | कहां मुश्किल अगर वो साथ में करतार आ जाए

कहां मुश्किल अगर वो साथ में करतार आ जाए ( Kahan Mushkil Agar Wo Sath Mein Kartar Aa Jaye )   कहां मुश्किल अगर वो साथ में करतार आ जाए। लगे  कश्ती  किनारे  हाथ  ग़र पतवार आ जाए।।   निभाना होता है मुश्किल ये जीवन साथ में यारो। दिलों के बीच में जब भी कोई…