आज मुद्दतों बाद | Romantic Ghazal
आज मुद्दतों बाद ( Aaj muddaton baad ) आज मुद्दतों बाद वो चुपके से पास आकर मेरा हाथ सहलाकर पूछती है कहाँ गुम हो क्यों खामोश हो मुझे क्यों भूल गये स्याही क्या सूख गई हर्फ क्या नहीं मिल रहे अलफाज़ नहीं जुड़ रहे क्यों इतने गमगीन हो जो मुझको…