आज मुद्दतों बाद 
आज मुद्दतों बाद 

आज मुद्दतों बाद 

( Aaj muddaton baad )

 

 

आज मुद्दतों बाद वो चुपके से

पास आकर मेरा  हाथ सहलाकर

 पूछती है

 

कहाँ गुम हो

क्यों खामोश हो

मुझे क्यों भूल गये

 

स्याही क्या सूख गई

हर्फ क्या नहीं मिल रहे

अलफाज़ नहीं जुड़ रहे

 

क्यों इतने गमगीन हो

जो मुझको भी नहीं देख रहे

कुछ अपनी परेशानी

हर शह पर मात की

पशेमानी मुझको देदो

 

अपने कुछ एहसास बयां करदो

या नज़रे करम अता कर दो

 

मैं वही तुम्हारी ‘गज़ल अधूरी’ हूँ

या खुद ही वर्कों में फना कर दो

 

?

Suneet Sood Grover

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

यह भी पढ़ें :-

बहुत समझाया बहुत मनाया | Suneet Sood Grover Shayari

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here