Jazbaat poetry

जज्बात | Jazbaat poetry

जज्बात ( Jazbaat )   मचलते दिल में कुछ अरमान मेरे, जग रही ही अब। दबा था दिल जो वो प्यास शायद, जग रही ही अब।   तरन्नुम में कहु तो, हाल ए दिल बेचैन है दिलवर, तुम्ही पे मर मिटू हुंकार ये चाहत, जग रही है अब।   ये रातें नाग बनकर डंस रही…

Jazbaat ghazal

वो कभी ज़ज्बात दिल के यार समझा नहीं | Jazbaat ghazal

वो कभी ज़ज्बात दिल के यार समझा नहीं ( Wo kabhi jazbaat dil ke yaar samjha nahi )     वो कभी ज़ज्बात दिल के यार समझा नहीं मुझसे देखो वो कभी भी प्यार से मिलता नहीं   छोड़कर वो बीच सफ़र में ज़ा चुका है तन्हा ही पूरा उससे ही मुहब्बत का किया फेरा…

Jazbaat ghazal

जज्बात | Jazbaat Ghazal

जज्बात ( Jazbaat )     उमड़ते मन के भावों को दिशा कोई दे दीजिए प्यार थोड़ा ही सही जनाब प्यार थोड़ा कीजिए   दिल के हो जज्बात प्यारे लबों तक आते ही रहे आनंद के हो चंद पल जिंदगी सुख से जी लीजिए   हंस-हंसकर मीठी बातों का रस थोड़ा पीना सदा धूप छांव…