Ghazal | हां वफ़ा का जिसे लिखा खत है
हां वफ़ा का जिसे लिखा खत है ( Han Wafa Ka Jise Likha Khat Hai ) हां वफ़ा का जिसे लिखा ख़त है ! दें गया वो मुझे बेवफ़ा ख़त है शहर जाकर भुला मुझे ऐसा फ़िर कभी भी नहीं लिखा ख़त है वो न देता जवाब कोई भी की लिखा प्यार…
हां वफ़ा का जिसे लिखा खत है ( Han Wafa Ka Jise Likha Khat Hai ) हां वफ़ा का जिसे लिखा ख़त है ! दें गया वो मुझे बेवफ़ा ख़त है शहर जाकर भुला मुझे ऐसा फ़िर कभी भी नहीं लिखा ख़त है वो न देता जवाब कोई भी की लिखा प्यार…
जिंदगी में खुशी नहीं आती ( Zindagi Mein Khushi Nahi Aati ) जिंदगी में खुशी नहीं आती हाँ ऐसी आशिक़ी नहीं आती आबरु लुट जाए अगर जो ये लौटकर वो कभी नहीं आती लुट जाते है जो प्यार में यारों उन लबो पे हंसी नहीं आती जब अधेरे घेरे है…
तुझसे मुख्फी करते हुए भी डर लगता है ( Tujhse Mukhphi Karte Hue Bhi Dar Lagta Hai ) तुझसे मुख्फी करते हुए भी डर लगता है सोज़-ए-दीवानगी क्यों मुझे खर लगता है जहाँ देखो वहीँ बैठ जाता हूँ नाजाने क्यों देखने में तो यह अपना ही घर लगता है बे-सब्र बचाए जा …
मिटा जब तेरा नाम इस दिल के दर से (Mita Jab Tera Naam Is Dil Ke Dar Se) मिटा जब तेरा नाम इस दिल के दर से। हटा बौझ- सा कुछ कोई जैसे सर से।। हुई हम को नफ़रत शकल से बहुत ही। गिरे जब से हो तुम हमारी नज़र से।। …
हुंकार का दिल ( Hunkaar Ka Dil ) मूंगफली के दाने सा, छोटा सा दिल है मेरा। उसपर भी ना सम्हाला तुझसे,ला दिल वापस मेरा। कोई कही तो होगा जिसको, मेरा दिल प्यार होगा, लाखों मे कही एक है होता, ऐसा दिल है मेरा। छोटा सा है चिप के जैसा,जिसकी मेमोरी…
नहीं तिरछी नज़र जैसा कोई भी वार दुनिया में ( Nahi Tirchi Nazar Jaisa Koi Bhi War Duniya me ) कलेजा चीरने वाले बहुत हथियार दुनिया में। नहीं तिरछी नज़र जैसा कोई भी वार दुनिया में।। चलन सबका यहां उल्टा मिलेगा तुम अगर देखो। गुलों को पूजने वाले बिछाते ख़ार दुनिया में।। …
आंखों में अश्कों के समंदर रो रहे हैं ( Aankhon Mein Ashkon Ke Samandar Ro Rahe hain ) आँखों में अश्कों के समंदर रो रहे हैं! ग़म मुहब्बत के कई मेरे अंदर रो रहे हैं! मिट गया झगड़े में नामो निशान घर का, और दहलीज़ पे बैठे खंडहर रो रहे हैं! …
धीरे -धीरे जहन से उतरता गया ( Dhire Dhire Jehan Se Utarta Gaya ) धीरे -धीरे जहन से उतरता गया, जो कभी प्यार मेरा सहारा रहा। जिन्दगी ने मुझे आज सिखला दिया, मतलबी दौर का वो सिकारा रहा। मैने चाहा बहुत टूट कर प्यार की, पर उसे ना कभी …
जीस्त में जिसकी यहां तो मुफलिसी है ( Jist Mein Jiski Yahan To Muphlasi Hai ) जीस्त में जिसकी यहां तो मुफ़लिसी है जीस्त में उसके भला क्या फ़िर ख़ुशी है मयकशी ही कौन करता है उल्फ़त की रोज़ होती नफ़रतों की मयकशी है अब दिखाता ग़ैर होने की वो आंखें…
कर गया दुश्मनी की वो ही बात है ( Kar Gaya Dushmani Ki Wo Hi Baat Hai ) कर गया दुश्मनी की वो ही बात है दोस्ती की करी जिससें शुरुवात है प्यार मेरा नहीं है किया हाँ क़बूल दिल के उसनें नहीं समझें जज्बात है नफ़रतों की ही बरसात होती …