भूल जा यादें उसी की | Ghazal
भूल जा यादें उसी की ( Bhool ja yaadein usi ki ) भूल जा यादें उसी की आंख भर आंसू नहीं बेवफ़ा को याद मत कर और दिल से तू नहीं तू ही आए हर तरफ़ मुझको नज़र हर चेहरे में कर निगाहों से सनम मुझपे ऐसे जादू नहीं कह रहा…
भूल जा यादें उसी की ( Bhool ja yaadein usi ki ) भूल जा यादें उसी की आंख भर आंसू नहीं बेवफ़ा को याद मत कर और दिल से तू नहीं तू ही आए हर तरफ़ मुझको नज़र हर चेहरे में कर निगाहों से सनम मुझपे ऐसे जादू नहीं कह रहा…
उठ रही ख़ुशबू फ़ूलों से ख़ूब है ( Uth rahi khushboo phoolon se khoob hai ) उठ रही ख़ुशबू फ़ूलों से ख़ूब है बस रहा कोई सांसों में ख़ूब है देखते है कर लिए उसपे यकीं धोखा उसके हर वादों में ख़ूब है किस तरह मिलनें उसी से मैं जाऊं हाँ लगा…
क़रीब से ऐसे मेरे निकल रहा है वो ( Kareeb se aise mere nikal raha hai wo ) क़रीब से ऐसे मेरे निकल रहा है वो हूँ गैर जैसे आँखों को बदल रहा है वो उसे भेजा था मुहब्बत वफ़ा भरा कल गुल उल्फ़त का पैरो लते गुल मसल रहा है वो…
मत होना तू कभी भी जुदा साहिबा ( Mat hona tu kabhi bhi juda sahiba ) मत होना तू कभी भी जुदा साहिबा ! तू मेरे साथ रहना सदा साहिबा तू नहीं करना मुझसे दग़ा प्यार में जिंदगी भर निभाना वफ़ा साहिबा बेवफ़ाई से भरना नहीं दिल कभी उम्रभर रहना तू…
ख़्वाब में आकर सताये ख़ूब कोई ( Khwab mein aakar sataye khoob koi ) ख़्वाब में आकर सताये ख़ूब कोई नीद से इतना जगाये ख़ूब कोई नफ़रत की सुनली जुबां मैंनें बहुत है गीत उल्फ़त के सुनाये ख़ूब कोई प्यासा हूँ मैं तो मुहब्बत का बरसो से प्यास उल्फ़त की बुझाये…
आ गुलिस्तां में मिलनें को आज तू फ़िर ( Aa gulistan mein milne ko aaj too fir ) आ गुलिस्तां में मिलनें को आज तू फ़िर आ करे दोनों उल्फ़त की गुफ़्तगू फ़िर प्यार की नजरें निहारुं आज तुझको आ बैठे इक दूसरे के रु -ब -रु फ़िर ये निगाहों पे असर…
वो तो उड़ा हंसी चेहरे से हिजाब शायद ( Wo to uda hansi chehre se hijab shayad ) वो तो उड़ा हंसी चेहरे से हिजाब शायद ऐसा लगा जैसे निकला आफ़ताब शायद मैं समझा खिल गये है वो फ़ूलों की बहारे महका था उस हंसी का ही वो शबाब शायद वो फ़ोन आजकल…
जिंदगी में ख़ुदा ख़ुशी चाहिए ( Zindagi mein khuda khushi chahiye ) जिंदगी में ख़ुदा ख़ुशी चाहिए ! उम्रभर ऐसी वो जिंदगी चाहिए भेज दें ए ख़ुदा जिंदगी की ख़ुशी और ख़ुशी की नहीं बेदिली चाहिए खाली है जिंदगी में बहुत ही दग़ा बावफ़ा अब ख़ुदा दोस्ती चाहिए रब अंधेरों…
अब किसी से गुलाब मिल जाये ( Ab kisi se gulab mil jaaye ) अब किसी से गुलाब मिल जाये ! इक हंसी से ज़नाब मिल जाये तरसे है पढ़ने को जिसे ये दिल प्यार की अब क़िताब मिल जाये तरसू गुल की ख़ुशबू से मैं कब तक हुस्न का अब…
सिलसिला जब से मुहब्बत का हुआ! ( Silsila jab se muhabbat ka hua ) सिलसिला जब से मुहब्बत का हुआ! और भी रिश्ता उससे गहरा हुआ आशना तो वो रहा बनकर मुझसे वो नहीं दिल से मगर मेरा हुआ देखता था जो कभी उल्फ़त नजर आज मेरा दुश्मन वो चेहरा हुआ …