तन्हा रात लंबी है या फिर मेरे गीत लंबे है | Tanha Raat
तन्हा रात लंबी है या फिर मेरे गीत लंबे है
( Tanha raat lambi hai ya phir mere geet lambe hai )
तन्हा रात लंबी है या फिर मेरे गीत लंबे है।
वीणावादिनी दे वरदान हमें मात अंबे है।
रजनी भले काली दीप मन में जगाए हैं।
शब्द मोती चुन गजरा फूलों का लाए हैं।
निशा की निशानी ली अल्फाजों ने शान से।
गीत गजल छंद दोहे निकले तीर कमान से।
तन्हा रात लंबी है या फिर मेरे गीत लंबे हैं।
काव्य सुधारस बांटती हमें मात जगदंबे हैं।
रात कटती नहीं कभी बिना कोई गीत गाए।
सारी रात जगे गोरी साजन लौट घर आए।
बिछा देती पलके राहों में प्रियतम इंतजार में।
गीत लगते बड़े प्यारे भीगकर सनम प्यार में।
तन्हा रात लंबी है या फिर मेरे गीत लंबे है।
तार दिलों के जुड़े सारे नैनों के अचंभे हैं।
तीर नजरों के चलते दीवाने हो जाते घायल।
अधर मुरलिया बजती कभी पांव में पायल।
प्रीत पलती घट घट में प्रेम की बहती धारा।
यामिनी हो मुदित रस लेती गीत का सारा।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )