Ghar Mera
Ghar Mera

घर मेरा स्वर्ग सा सुंदर

( Ghar mera swarg sa sundar ) 

 

एक आशियाना जो मेरी राहत का ठिकाना है।
घर मेरा स्वर्ग सा सुंदर प्यार भरा अफसाना है।

सुख चैन आराम देता हमें भावों भरा प्यारा भवन।
सर्दी गर्मी वर्षा से वो बचाता बसता जहां मेरा मन।

मनमंदिर सा आलय मेरा प्रीत भरा आगार प्यारा।
सुखधाम श्रद्धा निकेत बहती जहां प्रेम की धारा।

आवास सदा परिजनों से हंसी खुशी परिवार रहे।
निवास हैं आशीषो से बुजुर्गो का सर पे हाथ रहे।

कनक भवन निवास करे सुख अनुपम अनुराग।
प्राज्ञ पुरुष मर्यादा धर शोभागृह छेड़े स्वर राग।

मकान को हम घर बनाए स्वर्ग से भी सुंदर बनाएं।
महके घर का कोना कोना देहरी आंगन महकाएं।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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