Tiranga
Tiranga

हिन्द का तिरंगा

( Hind ka tiranga ) 

 

हे ध्वज तेरा क्या बखान करूं तू लागे बड़ा चंगा,
हिंदू-मुस्लिम सिख-ईसाई सबका प्यारा तिरंगा।
नीले अंबर में लहराता हुआ तू लगता हमें प्यारा,
सारे विश्व में गौरवान्वित करता हिंद का तिरंगा।‌।

देश प्रेम का दे रहा है तू जन-जन को यह संदेश,
मिल-झुलकर रहो आपस में ना रखो कोई द्वेष।
जैसे हम रहते रंग तीनों केसरिया-हरा और श्वेत,
ध्वज मेरा लहराते स्वाधीनता दिवस पर विशेष।।

कई सपूतों ने दिया बलिदान तब मिली आज़ादी,
आपस मे लड़ाने की फिरंगियों ने नीति बना दी।
झूल गए थें हंसते-हंसते फांसी पर बहुत सैनानी,
था वह ऐसा मन्जर जब हुई बहुत सारी बर्बादी।।

हम देते आज सलामी उन सभी वीर जवानों को,
आज़ादी का अमृत पिला गए जो हम सभी को।
बड़ा मुश्किल है फ़ौजी बनना जो है स्वाभिमानी,
मौका मिले तो मदद पहुंचाएं ऐसे परिवारों को।।

पूरब-पश्चिम उत्तर-दक्षिण कश्मीर-कन्याकुमारी,
नाच गान व ध्वजारोहण की करते सभी तैयारी।
भेदभाव मिटाकर गाते राष्ट्रीय गान को नर नारी,
सभी इसे लहराते उस-दिन दफ्तर चार-दीवारी।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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