क्या तुम किसान बनोगे ?
क्या तुम किसान बनोगे ?

क्या तुम किसान बनोगे ?

( Kya Tum Kisan Banoge ? )

जब भी छोटे बच्चों से पूछा जाता है-
कि तुम बड़े होकर क्या बनोगे ?…
सब कहते हैं कि
हम बड़े होकर-
डॉक्टर, वकील, इंजीनियर ,
शिक्षक या व्यापारी बनेंगे ।
परंतु कोई ये नहीं कहता
कि हम बड़े होकर किसान बनेंगे ;
क्योंकि छोटे-छोटे बच्चों को भी पता है
कि हमारे देश में
किसानों की हालत बिल्कुल भी ठीक नहीं !
आज के दौर में
खेती-बाड़ी करना घाटे का सौदा है
और जिन बच्चों ने
अपनी चोथी कक्षा की किताब में
‘पूस की रात’ पढ़ी होगी,
वे तो कभी भूलकर भी ना सोचेंगे
किसी बर्फ़ीली रात में
हल्कू की तरह
अकेले खेत-खलिहानों का पहरा देने की ।
इसलिए देश के सभी बच्चे

आज यही मानते हैं-
बेहतर यही है
कि पढ़-लिखकर
कोई आराम का काम किया जाए-
खेती-बाड़ी के अतिरिक्त कुछ भी ।

पर मेरा मानना यही है कि
जिस दिन देश के बच्चे भी
ये कहने लग जाएँ कि
हम भी बड़े होकर किसान बनेंगे ।
उस दिन हमारा भारत
दुनिया में सबसे महान् बन जाएगा
और शायद ये दिन कभी नहीं आएगा !

 

 

कवि : संदीप कटारिया

(करनाल ,हरियाणा)

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