तू बहुत याद आ रही है | Tu Bahut Yaad aa Rahi Hai
तू बहुत याद आ रही है
( Tu bahut yaad aa rahi hai )
ऐ मोहब्बत आज मुझको , तू बहुत याद आ रही है।
दिल की धडक घट के बढ कर,रात भर तरसा रही है।
सोचता हूँ सो लूँ पर तू, ख्वाब में आ जाती हो,
जालिमा दिलकश अदा से, शेर दिल तडपा रही है।
ना तू जाती है जिगर से, ना मुझे नींद आ रही है।
धरधराते लब ये मेरे हसरतें दरशा रही है।
खोल के डी पी तुम्हारा, जूम करके देखता हूँ,
आग दिल में जो लगी है, तू उसे भडका रही है।
आज देखा है तुझे इक मखमली परिधान मे।
सूर्ख होठो की थी रंगत, नयन तीर कमान से।
उसका ही जादू है जाना, नींद आँखो में नही है,
शेर की कविता में रम कर, चुडियाँ खनका रही है।
पढ लो मेरी भावना को, भाव तुममें हो अगर।
शब्द को साकार कर लो, कल्पना में हो अगर।
तुम भी पढ लो रूपसी, मन शेर का विचलित है जो,
एक लाइक कर के सोना, तू बहुत याद आ रही है।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )