तुझ से जुड़ा इंतज़ार
तुझ से जुड़ा इंतज़ार
यह कहना आसान है कि “भूल जाओ उसे,”
पर जिसने सच्चा प्रेम किया, वो उसे भला कैसे भूल पाता।
जिस दिल में बसी हो वो आरज़ू बनकर,
उसकी यादों से इंसान कभी दूर नहीं जाता।
हर रात खामोशियों में उसकी सदा गूंजती है,
हर सुबह उसकी चाह में दिल मचल जाता।
वो पास नहीं, फिर भी हर धड़कन में बसी हुई है,
उसके बिना ये दिल एक पल भी नहीं ठहर पाता।
लोग कहते हैं, “वक़्त हर ज़ख्म भर देता है,”
पर सच्चे प्रेम में कोई इस दिल को नहीं बहला पाता।
मैं अपनी दिकु का उम्रभर इंतज़ार करूंगा,
चाहे ये जीवन उसकी राह में ही क्यों न सिमट जाता।
आखिरी सांस तक उसकी यादें रहेंगी मेरे साथ,
या वो लौट आएगी, या फिर मेरे प्राण जाएंगे।
जिससे इस दिल ने सच्चा प्रेम किया है,
उससे दूर होने का ख़्याल भी कभी ना आएंगे।
हर दर्द, हर तड़प उसकी चाहत में बसी है,
मेरे सपनों का हर रंग उसी से सजा हुआ है।
और यही कारण है कि आज भी प्रेम का प्रेम,
उसके इंतजार में वहीं ठहरा हुआ है।
कवि : प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
सुरत, गुजरात
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