तुम रहो खुश | Tum Raho Khush
तुम रहो खुश
चलो हमने हार मान लिया,अब तो तुम खुश हो।
चलो हमने शीश झुका दिया,अब तो तुम खुश हो।
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता इन सब बातों से कभी,
मेरी वजह से दुखी न रहो, अब तो तुम खुश हो।।
हमने सुना था कि जो झुकना जानता वो टूटता नहीं,
हमने सुना था जो दूसरों को खुश रखता रूठता नहीं।
तेरा मेरा इतना उतना करना कहना मेरे धर्म विरुद्ध है,
जब अभिमानी टूटता है तो कुछ भी सूझता ही नहीं।।
तेरी हर बातों को मैं बड़े ही शौक से मानता रहूंगा,
तुम मुझे पहचानो मैं तुझे ताउम्र पहचानता रहूंगा।
मैं धन से अमीर नहीं दिल से अमीर होना चाहता हूं,
मैं खुद को खुद से नहीं समाज से जाना जाता रहूंगा।।
तेरा शौक तेरी इज्जत तेरी सोहरत तुझे ही मुबारक हो,
दुनिया की हर महफिल में बस तेरी ही तो इबादत हो।
मुझे तेरी खुशियों को छीनने का कोई अधिकार नहीं है,
मैं दुआ करूंगा कि हमेशा मुझ पर तेरी ही इनायत हो।।
किसी की जुर्रत को तरासते की हिमायत नहीं चाहिए,
अब मुझे तेरी झूठी अफवाहों की हकीकत नहीं चाहिए।
माना की रंगीन सपने तूने दिखाया मुझे वो भी झूठे थे,
जमाना मुझे बेदर्द कहता है अब मुझे दर्द नहीं चाहिए।।
प्रभात सनातनी “राज” गोंडवी
गोंडा,उत्तर प्रदेश
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