Jansankhya niyantran par kavita
Jansankhya niyantran par kavita

 जनसंख्या नियंत्रण

( Jansankhya niyantran ) 

 

आज हमारा यह भारत देश है स्वतन्त्र,
लेकिन हाॅं रखना जनसंख्या नियंत्रण।
रखना है सभी को यें एक ही मूलमन्त्र,
जनसंख्या वृद्धि रोके यें देना निमंत्रण।।

 

बढ़ रहा है शोर घटाऍं छा रहीं घनघोर,
ठीक न होगा नयी पीढ़ी के लिए दोर।
बचना व बचाना‌ अपनें हिन्दुस्तान को,
बढ़ती हुई आबादी रोक पर देवें जोर।।

 

भीड़ के कारण बढ़ गई यह बिमारियाॅं,
बन रहीं धीरे-धीरे अनेंक महामारियाॅं।
इस धरा के भी अनेंक टुकड़े हो रहें है,
रोकना है प्रदूषण करों सब तैयारियाॅं।।

 

यह छोटा परिवार होता सुखी परिवार,
मिलता शुद्ध हवा स्वच्छ नीर भरमार।
सब को अच्छी पढ़ाई सुविधाऍं अपार,
नियंत्रण करके दें युवाओं को उपहार।।

 

आज समझा रहीं हर देश की सरकार,
हम दो और हमारे-दो बस यें परिवार।
सपनें भी उन लोगों के होतें है ‌साकार,
वृद्धि से तों होंगी सब जगह में दीवार।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

 

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