तुमने बात न मेरी मानी | Tumne
तुमने बात न मेरी मानी
( Tumne baat na meri mani )
तुमने बात न मेरी मानी।
पहुंच नहीं पाई क्या तुम तक,
मेरी करुणापूर्ण कहानी?
तुमने बात न मेरी मानी।
मैंने प्रेम किया था तुमसे,
एक आस अन्तर ले अपने।
पर तुमने ठुकराया जी भर,
सत्य हुये कब, मेरे सपने।
नहीं तु़म्हें शीतल कर पाया,
मेरी इन आंखों का पानी।
तुमने बात न मेरी मानी।
मैं ज्वाला में जलूं निरन्तर,
क्या तुमको इतना ही भाया।
मेरे इस सन्तप्त हृदय पर,
क्या कुछ तुमको तरस न आया?
आहों की भाषा में अंकित,
मेरी मर्म व्यथा ना जानी।
तुमने बात न मेरी मानी।
तुम थे मेरी आशाओं के,
और एषणाओं के स्वामी।
जन-जीवन से पूर्ण विश्व में,
केवल मेरे अन्तर्यामी।
किन्तु हुआ परिवर्तन यह क्यों,
सहृदयता जो हुई पुरानी!
कितनी ही तुम करो उपेक्षा,
पर क्या तुम्हें भूल पाऊंगा।
गीत अभी तक जो गाया है,
उसे और भी अब गाऊंगा।
क्योंकि तुम्हारी प्रकृति भली विधि,
है मेरी जानी-पहचानी।
तुमने बात न मेरी मानी।
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)