जिंदगी को महकाना | Tyohar Par Kavita
जिंदगी को महकाना
( Zindagi ko mehkana )
( Zindagi ko mehkana )
मेहंदी की महक ( Mehndi ki mahak ) नारी का श्रृंगार मेहंदी चार चांद चमका देती हिना में गुण आकर्षण पिया मन लुभा लेती रचकर रंग दिखाती है सौंदर्य में निखार लाती है दुल्हन के हाथों का सौंदर्य मनभावन सजाती है मेहंदी की मोहक महक मदमस्त हो मधुमास प्यार के मोती बरसते…
मीठी-मीठी ठण्डक ( Meethi meethi thandhak ) कांप रहे सब हाथ पांव, मौसम मस्त रजाई का। देसी घी के खाओ लड्डू, मत सोचो भरपाई का। ठिठुर रहे हैं लोग यहां, बर्फीली ठंडी हवाओं से। धुंध कोहरा ओस आई, अब ठंड बढ़ गई गांवों में गजक तिल घेवर बिकती, फीणी की भीनी महक।…
पापा पढ़ने जाऊंगी ( Papa padhne jaungi ) गांव में खुलल आंगनबाड़ी मैं पापा पढ़ने जाऊंगी तुम पढ़ें नही तो क्या हुआ? मैं पढ़कर तुम्हें पढ़ाऊंगी, सीख हिन्द की हिंदी भाषा हिन्दुस्तानी कहलाऊंगी अरूणिमा सी बन कर बेटी पापा की नाम बढ़ाऊंगी , बेटा से बढ़कर बेटी है यह सिद्ध कर दिखलाऊंगी…
अग्नि परीक्षा ( Agni pariksha ) सीता आज भी पूछ रही है, हे नाथ, आप तो अवतरित हुए थे, जगत के कल्याण हेतु, जगत पिता है आप, नारायण के अवतार हैं, फिर भी आपको नहीं विश्वास है, हमारी पवित्रता पर, फिर कैसे कहूं कि, आप भगवान है। आखिर क्यों, युगों युगों से, स्त्री को…
जिंदगी की किताब ( Zindagi ki kitaab ) एक दिन पढ़ने लगा जिंदगी की किताब, पलटने लगा पल पल के पन्नों को और समझने लगा बीती दास्तां। खोता गया अतीत के शाब्दिक भाव में, मन में उभरने लगा अक्षरता एक चित्र। लोग इकट्ठा थे बोल रहे थें बलपूर्वक जोर शोर से, हां हां…. थामो……..
जिन्दगी पहलू नहीं पहेली है जिन्दगी परिणाम कम परीक्षा ज्यादा लेती है, खुशियों से खेलती बहुत, दुख ज्यादा देती है। इरादों पर बार बार चोट कर निराशा जगाती , जब हों हताश, निराशा में आशा उपजा देती है। कभी निहारती अपने को, कभी भूल जाती श्रृंगार करती हो बेखबर, प्रेम जगा देती है वक्तव्य कब…