गौ सेवा

( Gau Seva )

 

भाग्योदय के द्वार खुलते, गौ सेवा भक्ति से

संपूर्ण देव लोक उर वसित,
समुद्र मंथन विमल रत्न ।
सदा पुलकित मनुज जीवन,
कर तत्पर सेवा प्रयत्न ।
पावन मंगल भाव उपमा,
सनातन गौरव दर्शन स्तुति से ।
भाग्योदय के द्वार खुलते, गौ सेवा भक्ति से ।।

सिंग शोभा शिव शंकर ,
उदर शिव सुत कार्तिकेय ।
मस्तक ब्रह्मा ललाट रुद्र,
सिंग अग्र इंद्र देव अजेय ।
कर्ण विराजित अश्वनीकुमार ,
नयनन अनुपमा सूर्य चंद्र ज्योति से ।
भाग्योदय के द्वार खुलते, गौ सेवा भक्ति से ।।

दंतस्थ गरुड़ जिह्वा शारदे ,
तैंतीस कोटि दैवीय आगार ।
श्री कृष्ण प्रियल गौ परम,
पदमा संग अलौकिक श्रृंगार ।
हिंद संस्कृति संस्कार निहित,
शुभ कवच दुःख कष्ट भय मुक्ति से ।
भाग्योदय के द्वार खुलते, गौ सेवा भक्ति से ।।

समग्र नागरिक नैतिक धर्म,
गाय माता सेवा दृढ़ संकल्प ।
परिवेश उत्संग संचेतना प्रसार,
गऊ साध्य वर्तमान काया कल्प ।
तन मन धन योगदान अहम,
जीवन ज्योतिर्मय शुभ प्रयास युक्ति से ।
भाग्योदय के द्वार खुलते, गौ सेवा भक्ति से ।।

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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