उजाड़ो न दुनिया !

( Ujado na duniya ) 

 

पैग़म्बरों की जमीं,अम्न बोते चलो,
जंग को जहां से बचाते चलो।
बंट गई है दुनिया आज दो धड़ों में,
लगी आग को तुम बुझाते चलो।

फासला बढ़ा है लोगों के अंदर,
दिल की दूरियाँ को घटाते चलो।
नहीं थम रहे हैं आँसू जहां के,
उदासी जहां की मिटाते चलो।

मसअलों का हल, बैठ के निकालो,
मुकद्दर जहां का सजाते चलो।
भले हार जाओ इंसानियत के आगे,
आबरू तू जहां की बचाते चलो।

उजाड़ो न दुनिया मिसाइलों से कोई,
जमीं पे सितारे बिछाते चलो।
करेगी सलाम दुनिया एकदिन तुमको,
शिकस्तों का धुआँ हटाते चलो।

सजाओ न लाशों से किसी भी शहर को,
लोगों की साँसें बढ़ाते चलो।
मातम मनाए ये दुनिया कहाँ तक,
जंग होती नहीं हल, बताते चलो।

 

लेखक : रामकेश एम. यादव , मुंबई
( रॉयल्टी प्राप्त कवि व लेखक)

यह भी पढ़ें :-

नेता जी | Mulayam Singh Yadav

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here