Umeedon ki Bagiya
Umeedon ki Bagiya

उम्मीदों की बगिया

( Umeedon ki bagiya )

 

सजाकर रखे हैं आज भी ,
उम्मीदों की बगिया हमारी ।
प्यार होगा उनको फूल से ,
आएगा तब वो कुटिया हमारी ।।

पसंद है जो फूल उनको ,
है वो बगिया की रौनक हमारी ।
पसीने से सींचकर बड़ा किया ,
खिले है सिर्फ अंगना हमारी ।।

ज़माने की नजरों से बचाकर ,
रखे है उनको दामन मे छुपाकर ।।
चुराकर न ले जाए कोई,
रखे है उनको पलकों मे बिठाकर ।।

तुम्हारी नजरों से कायल हुई ,
चेहरे पे तुम्हारी फिदा हुई ।
रोक न पाया खुद को यहाँ ,
शायद तेरे प्यार मे पागल हुई ।।

सुंदरता जिसकी मन मोह लेतीं ,
खुसबू से सारा बगिया महकती ।
ले गई भौरे बगिया से चुराकर ,
सारी उम्मीदों पे पानी फेरती ।।

बगिया के मालिक हम है ,
वो बदनसीब माली हम है ।
एक दिन जाना है टोकरी मे ,
इस हकीकत से अनजान हम है।।

माली के आँख की तारा था वो ,
ख्वाबो का गहरा सागर था वो ।
पल भर मे टूट गया मानो ,
मिट्टी का बना गागर था वो ।।

 

कवि : खिलेश कुमार बंजारे
धमतरी ( छत्तीसगढ़ )

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