कश्मीर | Kashmir par Ghazal
कश्मीर
( Kashmir )
कश्मीर में खिले उल्फ़त के फूल है
होंगे नहीं नफ़रत के अब बबूल है
तू भूल जा बातें करनी कश्मीर की
हर हाथ में अदू वरना त्रिशुल है
सच बोलता नहीं है एक बात भी
हर बात वो करें दुश्मन फ़िजूल है
तू भूल जा रस्ता दुश्मन कश्मीर का
तेरे लिये बिछे हर राह बबूल है
ऐसी चली हवा मोदी के प्यार की
कश्मीर से मिटी नफ़रत की धूल है
कश्मीर में ख़ुशबू महकी यूं प्यार की
मेहमान का किया हर गुल क़बूल है
कश्मीर की तरफ़ मत देखना कभी
दुश्मन चलेंगे तुझपे ही त्रिशुल है
आज़म कभी न होगी दोस्ती मगर
भारत रखेगा दिल को रोज़ शूल है