Unchi Udaano ke the

ऊँची उड़ानों के थे | Unchi Udaano ke the

ऊँची उड़ानों के थे

( Unchi udaano ke the ) 

 

यह भी अहसान कुछ क़द्रदानों के थे
जो निशाने पे हम भी कमानों के थे

जो भी सीनों पे सब आसमानों के थे
वो सभी तीर अपनी कमानों के थे

ठोकरों ने भी बख़्शा हमें रास्ता
हौसले जब दिलों में चटानों के थे

हैं निगाहों में अब भी वो रश्क-ए-चमन
जो भी जाँबाज़ ऊँची उड़नों के थे

जुगनुओं को भी डसने लगी तीरगी
हुक़्म ऐसे यहाँ हुक़्मरानों के थे

तितलियों को भी शर्मिंदा होना पड़ा
काग़ज़ी फूल सब फूलदानों के थे

ले गयी भूख बच्चों की किलकारियां
हम तो पुर्ज़े फ़कत कारख़ानों के थे

.उम्र भर हम तो साग़र चले धूप में
आसरे कब हमें सायबानों के थे

 

कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
यह भी पढ़ें:-

सच मानो उस पल | Sach Maano uss Pal

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *