उतर जाओगे | Utar Jaoge
उतर जाओगे
( Utar Jaoge )
बेवफ़ाई की जिस दिन डगर जाओगे
मेरी नज़रों से उस दिन उतर जाओगे
दिल की कश्ती अगर सौंप दो तुम मुझे
पार दरिया के फिर बेख़तर जाओगे
प्यार करने लगोगे जब तुम हमें
हम जिधर जायेंगे तुम उधर जाओगे
होश उड़ जायेंगे हुस्न वालों के भी
प्यार से मेरे इतना निखर जाओगे
हाथ मेरा पकड़ कर चलो भीड़ में
हाथ छूटा तो जाने किधर जाओगे
खाओ क़समें न मेरी ख़ुदा के लिए
मुझ को मालूम है तुम मुकर जाओगे
मेरे ज़ख़्मों पे साग़र न मरहम रखो
देखते ही इन्हें तुम भी डर जाओगे
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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