वोटवा तव हर केहू चाहे | Vote Par Bhojpuri Kavita
वोटवा तव हर केहू चाहे
वोटवा तव हर केहू चाहे,
आपन कहावेवाला के बा।
जीतले पे उड़ि ऊ सुगनवाँ हो,
चेहरा दिखावेवाला के बा।
पांच साल मुड़ि-मुड़ि रहिया निहरली,
परछाईं नेताजी कै नाहीं देख पउली।
फिर से दिखाइहैं ऊ अंजोरिया हो,
चँदनिया बिछावेवाला के बा।
जीतले पे उड़ि ऊ सुगनवाँ हो,
चेहरा दिखावेवाला के बा।
वोटवा तव हर केहू चाहे,
आपन कहावेवाला के बा।
रोजी-रोजगार कै बहुत बाटे ठाला,
गिन लेता हमरे कलेजवा कै छाला।
मनीलॉन्डरिंग से पड़ल पाला हो,
हवाला से बचावेवाला के बा।
जीतले पे उड़ि ऊ सुगनवाँ हो,
चेहरा दिखावेवाला के बा।
वोटवा तव हर केहू चाहे,
आपन कहावेवाला के बा।
खाई के शपथ फिर करिहैं घोटाला,
वोटवा से पहिले वोटर, ओन्हे खँगाला।
केकरा पे करी हम भरोसा हो,
अमृत पियावेवाला के बा।
जीतले पे उड़ि ऊ सुगनवाँ हो,
चेहरा दिखावेवाला के बा।
वोटवा तव हर केहू चाहे,
आपन कहावेवाला के बा।
बदली ई भारत, करा मतदनवाँ,
करी कर्मठी नेता पूरा अरमनवाँ।
कितने किए बलिदनवाँ हो,
अब जनवाँ गंवावेवाला के बा।
जीतले पे उड़ि ऊ सुगनवाँ हो,
चेहरा दिखावेवाला के बा।
वोटवा तव हर केहू चाहे,
आपन कहावेवाला के बा।