ईद मुबारक शायरी
( Eid Mubarak Shayari )
खोल दीजिए रंजिशों की अब यह बेड़ियाँ,
ख़त्म कीजिए नफ़रतों की यह सरगर्मियाँ,
मिट जाने दीजिए ये फ़ासले जो हायल हैं,
हासिल क्या होगा बढ़ा के दिलों में दूरियाँ,
एहसासो-जज़्बात जो पड़ गए हैं, मांद से,
भर दीजिए, आज इनमें ईद की रौशनियाँ,
ग़ैरों को भी इस ईद पे गले लगाया करिए,
आएंगी बहारें खिलेंगी रहमतोंकी कलियाँ,
समेट लीजिए, बिखरते रिश्तों की डोरियाँ,
गर..ये टूटे तो मलते रह जाओगे हथेलियाँ!
आश हम्द
पटना ( बिहार )