ईद सबके लिए खुशियाँ नहीं लाती
ईद सबके लिए खुशियाँ नहीं लाती

ईद सबके लिए खुशियाँ नहीं लाती

 

रोजे हुए मुकम्मल
अब ईद आई है
कहाँ से लाऊँ?
घी शक्कर सेवइयां
नये अंगवस्त्र…
बच्चों की है जिद जबरदस्त!
ईदगाह जाने की है जल्दी
कैसे समझाऊँ उन्हें?
फाकाकशी है घर में
रेशमी लिबास नहीं
दाल आटा जरूरी है
जिंदा रहने के लिए
परवरदिगार,
सब्र अता फरमा
इन नन्हे फरिश्तों को।
और मुआफ़ खता करना मेरी
दे न सकूंगा मैं ईदी।

शिक्षण सेवा के २१ वर्ष

लेखकमो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

यह भी पढ़ें:-

आ रहे हैं प्रभु श्रीराम | Aa Rahe Hain Prabhu Shri Ram

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here