मुझे कब मगर वो वफ़ा दे गया | Wafa ghazal
मुझे कब मगर वो वफ़ा दे गया
( Mujhe kab magar wo wafa de gaya )
मुझे कब मगर वो वफ़ा दे गया
वफ़ा में मुझे वो दग़ा दे गया
जिसे रात दिन चाह मैंनें बहुत
मुझे हिज्र की वो सजा दे गया
ख़ुशी के दिये फूल उसको बहुत
मुझे वो ग़मों को दवा दे गया
परेशां किसी की रहे याद में
मुझे प्यार में जो जफ़ा दे गया
ग़मों का नफ़ा दे गया वो मुझे
ख़ुशी का मुझे कब नफ़ा दे गया
उसी ने कहाँ की बातें प्यार की
मुझे आज वो बस गिला दे गया
दग़ा के आज़म ख़ूब मारे पत्थर
वफ़ा का मुझे कब सिला दे गया