वफा के नाम पे धोखे जहां में जो भी खाते है
वफा के नाम पे धोखे जहां में जो भी खाते है
वफा के नाम पे धोखे जहां में जो भी खाते है।
निगाहों में सदा आंसू दिलों में दर्द पाते है।।
खुशी से फिर नहीं मिलते जमाने में किसी से वो।
हँसेगे लोग सारे ही गमों को यूं छुपाते है।।
पुकारो पास जाकर भी नहीं फिर बात वो सुनते।
बहुत ही दूर दुनिया से चले खुद ही वो जाते है।।
तरानों को नहीं सुनते खुशी के फिर कभी भी वो।
दिलों में आह भरते है गमों के गीत गाते है।।
हसीनों से नहीं मिलते वो समझे बेवफा सबको।
जले जो दूध से अक्सर वो डर लस्सी से जाते है।।
?
कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
यह भी पढ़ें :