वक्त के सांचे मे | Waqt ke Sanche me
वक्त के सांचे मे
( Waqt ke sanche me )
हादसों से भरा शहर है ये
सावधानी हटी और दुर्घटना घटी
अंधेरे में भी उजले नजर आते हैं यहां
पलकों के झपकाने से हकीकत नहीं बदलती
अंधे मोड़ से भरी सड़कों का जाल है यहां
भटक गए हैं कई से शेक्खियाँ बघार्नेवाले
होड़ के बाजार में खड़े हैं आप जानिब
बिक जाओगे आप और खबर भी न होगी
लगा दी जाती है बोली हर हुस्न की यहां
रूह से सजी बातों का अब दौर नहीं रहा
घोटाले ही घोटाले हैं इस बाजार के मेले में
अपने ही बेच देंगे आपको कौड़ी के मोल में
रहना है अगर आपको शामिल होकर यहां
तो बदल लो खुद को वक्त के सांचे में ढालकर
( मुंबई )