वो माँ तो आखिर मां होती
( Wo maa to akhir maa hoti )
तुम्हारे जैसा कोई नहीं है मैय्या इस सारे-ब्रह्माण्ड में,
मौत से लड़कर जन्म देती हों इंसान को नौ-माह में।
सहन-शक्ति की देवी हो तुम ज़िन्दगी की हर-राह में,
छाती से लगाकर रखतीं दूध पिलाती लेकर बांह में।।
ईश्वरीय अवतार और प्रथम गुरु तुम ही हो संसार में,
ज़िन्दगी में मिलने वाली हार बदल देती हो जीत में।
अपनी हॅंसी तक भूल जाती हो परिवार की ख़ुशी में,
किसी का खिलौना किसी की दवा बनतीं है प्रीत में।।
धूप-छाॅंव सर्दी-गर्मी तुम घबराती नहीं हो बरसात में,
आ जाऍं अचानक विपदाऍं चाहें घोर ॲंधेरी रात में।
बनकर-पहाड़ पत्थरीली-चट्टान तुम रहतीं हों सामनें,
कसूर चाहें किसका भी हो रहतीं अपनों के साथ में।।
ख़ुद-गीले में सोकर मैय्या बच्चों को सुलाती सूखे में,
अंतर्मन से उसे देखना ईश्वर दिखेगा तुमको उसी में।
कैसे-कैसे दिन गुजारें एवं कैसे गुजारी काली रातें यें,
नहीं है कोई आपके-जैसा अपनों को प्यार करनें में।।
सीखना है तों चाॅंद से सीखें वो ख़ुश रहता अकेंले में,
माॅं के ऑंचल जैसी शीतलता बाॅंटता सारे ज़हान में।
गज़ब की शक्ति दृढ़ विश्वास भरा है जिसके हृदय में,
वो माॅं तो आखिर माॅं होती इंसान हो या जानवरों में।।