WhatsApp par kavita
WhatsApp par kavita

व्हाट्सएप का संसार 

( WhatsApp ka sansar ) 

 

आज मैं व्हाट्सएप की गलियों में घूम आया ,
फिर सोचा मैंने वहां क्यों समय गवाया।

मैसज देखकर जब अपने अंदाज से मोबाइल में
कुछ समूह को मैंने फुलफिल भरा भरा सा पाया,
कुछ समूह का आनंद लिया,बाते करके मैंने बहा
कुछ में जाकर टांग अड़ाया,उत्तर दे प्रश्नों के सुलझाया ।।

कुछ जन परिचित मिले वहां रोज के मेरे
कहीं बिना पहचान के ही में देखकर लौट आया
इतने समूह में मैंने आखिर क्या कोई एक दोस्त बनाया
यह पूछा मेरे दिल ने मुझे मुझसे दिमाग ने टटोला ,
फिर मैंने व्हाट्सएप के सदस्यों पर नजर घुमाया।

कुछ जाने पहचाने परिचित मिले,
कुछ राम राम श्याम श्याम करते हुए पुराने मिले
कुछ नए अजनबी दोस्त बने जिन्हें दोस्ती की तलाश थी
और कुछ ऐसे भी थे जिन्हें मुझसे काम की आस थी।

हाथों में मोबाइल लिए बैठा रहा घंटों
पूरा पर एक दिन बीत गया
आंखें थक गई हो गई भारी , फिर सोचा मैंने!
इस दुनिया में सच क्या मैं किसी का हो पाया।।

दोस्ती यारी जिससे भी निभानी है
वह साक्षात ही पास हो तो बेहतर है
व्हाट्सएप की दुनिया है यारों
अजनवी नमस्कार भी सुंदर प्रतीत होती हैं,
खोल कर बैठा था मोबाइल कुछ सोच थी मेरी
इसीलिए लौट कर देखा तो सोचा कि मैंने
व्यर्थ समय क्यों इतना गवाया।।

मेरा अनुभव मेरे विचार से,…….

 

प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश

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