वो चाँद के जैसा मुखड़ा पसंद है !
वो चाँद के जैसा मुखड़ा पसंद है !

वो चाँद के जैसा मुखड़ा पसंद है !

( Wo chand ke jaisa mukhda pasand hai )

 

 

वो चाँद के जैसा  मुखड़ा पसंद है!

उसको  बना लूं मैं अपना  पसंद है

 

मैं चाहता हूं बातें बस  रहूं सुनता

की यारों बोलना उसका पसंद है

 

कैसे देखूं किसी मैं और को ही क्या

लब हुस्न उसका ही चलना पसंद है

 

लिख दी हर सांस उसके नाम मैंने तो

उसका आया घर वो रिश्ता पसंद है

 

जैसे झुड़े लबों से गुल बातें करे

मैं सच कहूं उसका हँसना पसंद है

 

उसकी हमेशा उल्फ़त का रहे साया

उसकी जुल्फों का वो साया पसंद है

 

उसके उठा लूं मैं हर नाज उम्रभर

उसका मुझे आज़म नखरा पसंद है

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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