वो गांव बहुत याद आता है
वो गांव बहुत याद आत है
बीता बचपन गांव में
वह गांव बहुत
याद आता है l
टेढ़ी ~मेढ़ी गलियां
चुभ गये कांटे
छाले पड़ गए पांव में
वो गांव बहुत
याद आता है l
हम खेले खेल
नदिया तीरे
भरी दुपहरिया
आम की बगिया l
कुहके कोयलिया
खाएं कच्ची अमिया
लेकर नमक मिर्च की
छोटी पुड़िया
वो गांव बहुत
याद आता है l
भोर में उठते ही
जाएं पोखरिया l
स्नान कर खाएं
मटर की फलियां l
चूरा खाए जामुन
मांग के खाए बिहिया l
वो गांव बहुत
याद आता है l
जाएं रसोईघर में
कुछ न मिले खाने को
गुड़~शक्कर खा जाएं l
वो स्वाद निराला
याद आता है l
लौटा दो मेरा
वो बचपन
मेरा वो गांव
बहुत याद आता है
खेल चंदा पौआ,
सत~ खपड़िया
छुपा~छुपी वाला
खेल याद आता है l
मस्ती भरा
बीता बचपन
मेरा वो गांव
बहुत याद आता है l
कहां आ गए
क्रंक्रीट के जंगल में
शुद्ध प्राण वायु को
हम तरसे l
मिले ना खालिस
दूध ~ दही
शुद्ध पानी को भी
व्याकुल मन तरसे l
सबसे अच्छा
मेरा गांव जहां
पीपल की ठंडी छांव
कौवा करते कांव ~कावं
वो गांव बहुत
याद आता है l
राजेंद्र कुमार रुंगटा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)