चतुर्दश मणि रत्न अनूप

( Chaturdash Mani Ratna Anup ) 

 

स्वर्गलोक वैभव ऐश्वर्य हीन,
महर्षि दुर्वासा ऋषि शाप ।
संकट समाधान देव अनुनय,
विष्णु सानिध्य विमुक्त संताप ।
परम सुझाव नीर निधि विलोड़न,
श्री हरि दैविक कृपा स्पंदन से ।
चतुर्दश मणि रत्न अनूप,जलधि सुधा मंथन से ।।
देवगण असुर वासुकि नाग संग,
मंदार पर्वत अनुपम प्रयास ।
कालकूट विष प्रथम आभा,
शिवजी सहर्ष ग्रहण उल्लास ।
कामधेनु द्वितीय रूप प्रभा ,
ऋषिजन श्री चरण वंदन से ।
चतुर्दश मणि रत्न अनूप, जलधि सुधा मंथन से ।।
उच्च श्रवा अश्व तृतीय,
राज संरक्षण अनुदान ।
चतुर्थ भव्य ऐरावत गजराज,
इन्द्र बुद्धि शुद्धि विधान ।
विष्णु ह्रदय शोभा कौस्तुभ,
भक्ति सुरभि पंचम चंदन से ।
चतुर्दश मणि रत्न अनूप,जलधि सुधा मंथन से ।।
कल्प वृक्ष षष्ठ प्रतिरूप,
स्वर्ग पटल पुनीत छवि ।
अप्सरा रंभा सप्तम पर्याय,
काम क्रोध ऊर्जा सम रवि ।
अष्ठ मां लक्ष्मी विष्णु प्रिया,
वारूणी नवम दानव संघन से ।
चतुर्दश मणि रत्न अनूप,जलधि सुधा मंथन से ।।
चंद्र दशम वसित शिव मस्तक,
पारिजात एकादश देव आंगन ।
पंचजन्य शंख द्वादश रश्मि,
साधना आराधना स्तुत प्रांगण ।
धन्वंतरि सह अमृत कलश अंत बिंब,
सुख वैभव आरोग्य मंगल अभिनंदन से ।
चतुर्दश मणि रत्न अनूप,जलधि सुधा मंथन से ।।

 

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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