याद में तेरी ग़ज़ल
याद में तेरी ग़ज़ल

याद में तेरी ग़ज़ल

( Yaad mein teri gazal )

 

हिज्र के ग़म जिंदगी में हम सहेगे उम्रभर
याद में तेरी ग़ज़ल हम तो लिखेगे उम्रभर

 

इस जहां में तू कभी ख़ुद को तन्हा मत समझना
साथ तेरे हर क़दम पे हम चलेगे उम्रभर

 

जिंदगी में ए ख़ुदा कोई मिले अब हम सफ़र
इस जहां में कब तक तन्हा हम रहेगे उम्रभर

 

हम नहीं देगें दग़ा तुझको कभी भी हाँ मगर
हर क़दम पर हम वफ़ा तुझसे करेगे उम्रभर

 

प्यार की ख़ुशबू महकती ही रहेगी जीस्त में
प्यार की इन वादियों में गुल खिलेगे उम्रभर

 

पास मेरे तू नहीं होगा अगर फ़िर रात दिन
याद में तेरी ग़ज़ल हम तो सुनेगे उम्रभर

 

हम करेगे ही नहीं कोई गिला तुझसे कभी
प्यार से ही हंसकर ए आज़म मिलेगे उम्रभर

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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