ज़रूरी तो नहीं | Zaroori to nahin
ज़रूरी तो नहीं
( Zaroori to nahin )
हर जज्बात
एहसास दिलाये
हर एहसास को
अल्फाज़ मिल जाये
उन अल्फाज़ों को
ज़बां मिल जाये
हर ज़बां कुछ
कह पाये
बस
तलबगारी है
महज़ इक
निगाह की
जो
किताब-ए-दिल के
हर
सादा,स्याह
पन्ना भी
पढ़ जाये.
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )