
सच कमजोर हो रहा है
( Sach kamjor ho raha hai )
सच में , सच कमजोर हो रहा है ।
झूठ का ही चारो तरफ शोर हो रहा है।।
कदम कदम पर लोग खूब झूठ बोले
झूठ और लूट में ईमान सबका डोले।
सच का किसे ज्ञान है, झूठ का ही ध्यान है
झूठ में ही मानव भाव विभोर हो रहा है ….
सच में०……
बढ़ गई है चोरी समाज में घुसकोरी
न्याय के भी मंदिर में हो रही है चोरी ।
बचा वही भाग है ,जहां सच का सौभाग्य है
कहीं झूठ ज्यादा कहीं थोर हो रहा है…..
सच में०……
राज काज हो या और दुनियादारी
हर जगह हो रही, खूब भ्रष्टाचारी ।
लूट ले खज़ाना,मिले बस बहाना
झूठ का ही धंधा घनघोर हो रहा है….
सच में ०……
नर भी झूठ बोले ,नारी भी झूठ बोले
मंदिर का अब तो पुजारी भी झूठ बोले।
चोर हो या सिपाही , है झूठ की कमाई
मन सबका काला तन गोर हो रहा है ….
सच में ,सच कमजोर हो रहा है